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- कवि का घर
Posted by : Sushil Kumar
Sunday, October 14, 2012
( उन सच्चे कवियों को श्रद्धांजलिस्वरूप जिन्होंने फटेहाली में अपनी जिंदगी गुज़ार दी | )
किसी कवि का घर रहा होगा वह..
और घरों से जुदा और निराला
चींटियों से लेकर चिरईयों तक उन्मुक्त वास करते थे वहाँ
चूहों से गिलहरियों तक को हुड़दंग मचाने की छूट थी
बेशक उस घर में सुविधाओं के ज्यादा सामान नहीं थे
ज्यादा दुनियावी आवाज़ें और हब-गब भी नहीं होती थीं
पर वहाँ प्यार, फूल और आदमीयत ज्यादा महकते थे
आत्माएँ ज्यादा दीप्त दिखती थीं
साँसें ज्यादा ऊर्जस्वित
धरती की सम्पूर्ण संवेदनाओं के साथ
प्यार, फूल और आदमीयत की गंध के साथ
उस घर में अपनी पूरी जिजीविषा से
जीता था अकेला कवि-मन बेपरवाह
चींटियों की भाषा से परिंदों की बोलियाँ तक पढ़ता हुआ
बाक़ी दुनिया को एक चलचित्र की तरह देखता हुआ
तब कहीं जाकर भाषा
एक-एक शब्द बनकर आती थी उस कवि के पास
और उसकी लेखनी में विन्यस्त हो जाती थी
अपनी प्रखरता की लपटों से दूर, स्वस्फूर्त हो
कवि फिर उनसे रचता था एक नई कविता ..|
कविता में पाठक को बांधने की भरपूर शक्ति है। एक अच्छी कविता के लिए बधाई !
ReplyDeletebeautiful :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता.
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन कविता...
ReplyDeleteकिसी कवि का घर रहा होगा वह..
ReplyDeleteऔर घरों से जुदा और निराला
चींटियों से लेकर चिरईयों तक उन्मुक्त वास करते थे वहाँ
चूहों से गिलहरियों तक को हुड़दंग मचाने की छूट थी
क्या बात है ....!!
एक सच्चे कवि का रेखाचित्र खींच दिया आपने .....
Gahan abhivyakti...
ReplyDeleteकुछ यथार्थ, कुछ कल्पना। सुन्दर कॉम्बिनेशन है।
ReplyDeleteईमेल पर प्राप्त टिप्पणी -
ReplyDeleteबहुत ताजगी है आपकी कविताओं में। बधाई स्वीकार करें।
आपके लेखन के लिए शुभकामनाएं
वर्तिका नन्दा
(nandavartika@gmail.com)
तब कहीं जाकर भाषा
ReplyDeleteएक-एक शब्द बनकर आती थी उस कवि के पास
और उसकी लेखनी में विन्यस्त हो जाती थी
अपनी प्रखरता की लपटों से दूर, स्वस्फूर्त हो
कवि फिर उनसे रचता था एक नई कविता ..well said
एक-एक शब्द बनकर आती थी उस कवि के पास
ReplyDeleteऔर उसकी लेखनी में विन्यस्त हो जाती थी ....aapne rachna bhee kuchh aisee hee hai..sadar badhayee...
जब आपकी कविता पढ़ी तो लगा आप मेरे पिता के घर की बात कर रहे हैं , ऐसा ही था वो | और फिर सोचा ठीक तो है , पिता भी कवितायें लिखा करते थे , हालांकि उनकी पहचान कवि के रूप में नहीं रही |
ReplyDeleteअच्छी कविताएं लिखते हैं आप !
सादर
इला
shabdo aur bhavon ka jabardast sanyojan.
ReplyDeleteकवि के मनोभावों का सुन्दर चित्रण
ReplyDeleteआप सबों का बहुत-बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteसुंदर कविता.
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